रौतू का राज एक पुलिस वाले की कहानी है जो एक हत्या की जांच कर रहा है। दीपक नेगी (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) एक ऐसे शहर में इंस्पेक्टर है जिसका अतीत दुखद है। एक दिन उसे पता चलता है कि संगीता देवी (नारायणी शास्त्री), एक अंधे स्कूल में वार्डन है।…राउतू की बेली की मौत हो चुकी है। उसके जूनियर – नरेश डिमरी (राजेश कुमार), दिनेश पंत (विक्की दत्त), लता (समृद्धि चंदोला) और त्रिपाठी (अनूप त्रिवेदी) – जांच करते हैं और निष्कर्ष निकालते हैं कि संगीता की मौत स्वाभाविक रूप से हुई है। लेकिन दीपक को संदेह होता है और वह पोस्टमार्टम के लिए कहता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुष्टि होती है कि संगीता की मौत अप्राकृतिक है। इस तरह जांच शुरू होती है। दीपक और उसकी टीम प्रिंसिपल विश्वनाथ कुमाई (कैलाश कंडवाल), सहायक वार्डन हेमा (प्रीति सूद) और ट्रस्टी मनोज केशरी (अतुल तिवारी) से पूछताछ करती है। संगीता के बारे में ही नहीं बल्कि उसकी हत्या के संभावित कारणों के बारे में भी कई अप्रत्याशित और चौंकाने वाले पहलू सामने आते हैं।
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